आवश्यक है कि वन सम्बन्धी सभी नियम-कानूनों की पुनर्समीक्षा कर, हक-हकूकों व वनों के दावेदारों के साथ बैठकर एक कारगर नीति तैयार की जाय।
2.
सीमा को निर्धारित करने के लिए वहाँ अलग से कोई सीमा-पत्थर लगाने की ज़रूरत नहीं सरकारी कागजात में हर गाँव के वन सम्बन्धी हकूक, आज़ादी से भी पहले से, राजाओं के जमाने से ही पूर्व निर्धारित हैं।